BA Semester-2 - History - History of Medival India 1206-1757 AD - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई. - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2720
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

अध्याय - 3 
तुगलक वंश

दिल्ली पर शासन करने वाले तुर्क राजवंशों में अंतिम तुगलक वंश था। इस काल में जहाँ एक तरफ सल्तनत का चरम विस्तार हुआ, वही दूसरी ओर विघटन की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हुई। तुगलकों के काल में ही निरंकुश राजतंत्र की परम्परा कमजोर पड़ी और कल्याण कारी शासन पगारम्भ हुआ। धार्मिक सहिष्णुता की नीति का भी सर्वप्रथम कार्यान्वयन हुआ और धार्मिक कट्टरता का प्रदर्शन भी हुआ इसके अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार भी किये गये।

1320 में तुगलक वंश की स्थापना गाजी तुगलक अर्थात् गियासुद्दीन तुगलक ने की। इसके काल में कई सैनिक अभियान किये गये। उसके पुत्र जौना खां ने 1323 में तेलंगाना- अभियान किया तथा उसे विजित कर सल्तनत का अंग बनाया। 1324 ई0 में गियासुद्दीन ने स्वयं बंगाल अभियान किया और उसे जीतकर दिल्ली सल्तनत का अंग बनाया। वापसी के क्रम में उसने तिरहुत को जीता। इसी बीच जौना खां ने जाजनगर के शासक भानुदेव II को पराजित किया। लेकिन गियासुद्दीन का शासन काल अल्पकालिक सिद्ध हुआ और अफगानपुर (तुगलकावाद) में लकड़ी के भवन में स्वागत के दौरान, महल के गिरने से उसका निधन हो गया।

गियासुद्दीन तुगलक के बाद उसका बड़ा पुत्र जौना खां, मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से (1325-51 ई0) गद्दी पर बैठा। उसका शासन काल सल्तनत के इतिहास में एक नया मोड़ साबित किया। साम्राज्य विस्तार एवं प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में उसने मौलिक और अनोखे विचार एवं सिद्धांत अपनाए और उन्हें कार्यान्वित करने के उपाय किया (प्रमुख योजनाए। उसने अपनी विस्तार वादी नीति के द्वारा उत्तर एवं दक्षिण भारत को एकता के सूत्र में बांधा। उसने पश्चिमोत्तर में कालानूर तथा फरशूर (पेशावर) को जीता और दक्षिण में द्वार समुद्र, यावर तथा आने गोंडी के राज्यों को विजित किया, जिससे पश्चिमी सागर तट तक उसका विस्तार हो गया। उसका साम्राज्य 23 प्रांतों में विभक्त था जिसमें कश्मीर, ब्लूचिस्तान और साम्राज्य 23 प्रांतों में विभक्त था जिसमें कश्मीर ब्लूचिस्तान और पूर्वांचल को छोड़कर लगभग सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप शामिल था।

1351 ई0 में मु0 तुगलक की मृत्यु के बाद उसका चचेरा भाई फिरोज तुगलक सुल्तान बना। उसने मु० तुगलक की नीतियों में व्यापक परिवर्तन किये। किसानों के ऋण (सोनधर) माफ किये, पदों को वंशानुगत बनाया उलेमाओं को शासन में भागीदार बनाया तथा अन्य सामाजिक वर्गों को भी इसने संतुष्ट करने का प्रयास किया। इसका शासन काल सैनिक अभियानों की बजाय लोक कल्याण कारी कार्यों के लिए ज्यादा जाना जाता है। उसने कृषि व्यवस्था में सुधार किये, सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया, बाग लगवाये, करों में कमी की तथा अनेक कल्याण कारी विभागों की स्थापना की। लेकिन इसकी तुष्टिकरण की नीति ने सल्तनत के पतन का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

फिरोज तुगलक की 1388 में मृत्यु के बाद क्रमशः गियासुद्दीन तुगलक II, अबूबक, मुहम्मद शाह तथा नासिरुद्दीन महमूद (1394 - 1412 ) सुल्तान बने।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

गियासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई0 )

  • सितम्बर 1320 में तिलपत के निकट लड़े गये एक युद्ध में नासिरुद्दीन खुसरव शाह को पराजित कर, गाजी मलिक ने सल्तनत की सत्ता पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और एक नवीन वेश, तुगलक वंश की स्थापना की।
  • इस वंश में कुल आठ शासक हुए जिन्होंने 1320 ई0 से लेकर 1414 ई0 तक अर्थात् 94 वर्ष तक शासन किया।
  • दिल्ली सल्तनत के काल में तुगलक वंश के शासकों ने सबसे अधिक समय तक शासन किया।
  • तुगलक तुर्किस्तान और सिन्ध के मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में बसने वाले करौना वंश के थे (इब्नबतूता )
  • गाजी मलिक अर्थात् गियासुद्दीन को जलालुद्दीन खिलजी ने अपना अंगरक्षक, अलाउद्दीन ने सीमा रक्षक के पद पर तथा मुबारकशाह खिलजी ने उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त का सूबेदार नियुक्त किया था।
  • गियासुद्दीन तुगलक ने खुतो तथा मुकद्दमों के विशेषाधिकारों को पुनः बहाल कर दिया।
  • लगान निर्धारण की बटाई पद्धति का प्रयोग फिर से आरम्भ कर दिया, ऋणों की वसूली बन्द करवा दिया, भूराजस्व की दर को 1/3 कर दिया तथा सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
  • सल्तनत काल में नहरों का निर्माण करवाने वाला प्रथम सुल्तान था।
  • उसने अलाउद्दीन की कठोर नीति तथा उसके उत्तराधिकारियों की अत्यधिक उदार सौम्यता के बीच मध्यवर्ती नीति अपनाई जिसे वरनी रस्मेमियान' कहा।
  • सल्तनत काल में यातायात व्यवस्था तथा डाक प्रणाली को पूर्णरूप से व्यवस्थित करने का श्रेय गियासुद्दीन तुगलक को प्राप्त है।
  • सल्तनत के इतिहास में पहली बार गियासुद्दीन के शासन काल में निर्धनों की सहायता का आयोजन किया गया तथा राज्य की ओर से खिलजी कन्याओं के विवाह की व्यवस्था की गई।
  • उसने यह नियम बनाया कि किसी एक वर्ष में भूराजस्व में 1/10 से 1/11 से अधिक वृद्धि नहीं की जायेगी।
  • गियासुद्दीन तुगलक ने अलाउद्दीन द्वारा चलाई गई दाग तथा चेहरा पद्धति को प्रभावशाली ढंग से लागू किया।
  • उसके शासन काल में प्रथम सैन्य अभियान पुत्र जौना खां के नेतृत्व में तेलंगाना के विरुद्ध 1323 ई0 में हुआ।
  • जौना खां ने वारंगल (तेलंगाना की राजधानी) को जीतकर दिल्ली सल्तनत में मिला लिया तथा उसका नाम सुल्तानपुर रखा।
  • गियासुद्दीन का दूसरा सैनिक अभियान 1324 ई0 में जाजनगर (उड़ीसा) के विरुद्ध किया गया। राजमुन्दरी अभिलेख में जूना खां को दुनिया का खान कहा गया है।
  • गियासुद्दीन तुगलक का अंतिम सैन्य अभियान बंगाल में फैली अव्यवस्था को समाप्त करने के लिए की गई।
  • सुल्तान का निजामुद्दीन औलिया के साथ मनमुटाव चल रहा था इसी के चलते निजामुद्दीन औलिया ने गियासुद्दीन तुगलक के बारे में कहा था कि “दिल्ली अभी बहुत दूर है"
  • बंगाल से वापस आते समय तिरहुत को 1324-25 में विजित कर दिल्ली वापस आ रहा था।
  • उसके स्वागत समारोह के लिए अफगान पुर ( तुगलकाबाद) में निर्मित लकड़ी के भवन के गिर जाने से फरवरी-मार्च 1325 ई0 में उसकी मृत्यु हो गई। तुगलकाबाद में ही उसे दफना दिया गया।
  • गियासुद्दीन के काल में लगभग सम्पूर्ण दक्षिण भारत को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया।

मुहम्मद बिन तुगलक ( 1325-51 ई0 )

  • मुहम्मद बिन तुगलक का मूल नाम मलिक फखूद्दीन था। उसने अमीर-उल- मोमनीन, जिल्लिलाह, उलूग खाँ आदि उपाधियाँ धारण की थी।
  • उसके शासन काल में 133 ई0 में अफ्रीका यात्री इब्नबतूता भारत आया। सुल्तान ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
  • 1342 ई० में मु0 बिन तुगलक ने उसे अपना इत बनाकर चीन भेजा था।
  • इब्नबतूता ने अपना यात्रा वृत्तांत 'रेहला' नामक पुस्तक में लिपिबद्ध किया। उसके अनुसार उस समय तुगलक साम्राज्य 23 प्रातों में विभक्त था जिसमें कश्मीर एवं ब्लुचिस्तान को छोड़कर लगभग सारा हिन्दुस्तान सम्मिलित था।
  • बरनी ने सुल्तान को विरोधी तत्वों का मिश्रण तथा सृष्टि का आश्चर्य बताया है।
  • एलफिन्स्टन के अनुसार " मुहम्मद बिन तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था "।
  • 1320 ई0 में गियासुद्दीन तुगलक ने जौना खां को उलूग खां की उपाधि दी तथा उसने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
  • दिल्ली सल्तनत के इतिहास में मु० बिन तुगलक विजयों की अपेक्षा अपनी नवीन योजनाओं के कारण ज्यादा जाना जाता है।

बरनी ने सुल्तान की पाँच नवीन योजनाओं का उल्लेख किया है जिसका क्रम इस प्रकार है-
(1) दोआब में कर वृद्धि ( 1325 ई0)
(2) राजधानी परिवर्तन ( 1326-27)
(3) सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1329 ई0)
(4) खुराशान अभियान तथा
(5) कराचिल अभियान ( 1330- 31 ई0 )।

  • दोआब सल्तनत का उपजाऊ क्षेत्र था, इसलिए सुल्तान में इस क्षेत्र में कर वृद्धि की योजना बनाई। प्रचलित लगान से 1/10 से 1/20 तक की वृद्धी की गई। इसके अतिरिक्त धरी और चरी कर की वसूला गया।
  • किन्तु दुर्भाग्य वस जिस समय वृद्धि की गई उस समय अकाल पड़ गया, जबकि लगान अधिकारियों ने सहायता करने के बजाय लगान निर्दयता पूर्वक वसूला, जिससे पूरे दोआब क्षेत्र में विद्रोह फैल गया।
  • सुल्तान ने अकाल ग्रस्त कृषकों को कृषि ऋण (तकावी) प्रदान किया।
  • सुल्तान की योजनाओं में सर्वाधिक विवादस्पद योजना दिल्ली से देवगिरि राजधानी था। वरनी के अनुसार देवगिरि साम्राज्य के केन्द्र में स्थित था इसलिए इसे राजधानी के रूप में चुना गया।
  • इसामी के अनुसार सुल्तान दिल्ली की जनता को दण्डित करने के लिए राजधानी परिवर्तन किया क्योंकि वे लोग सुल्तान के महल में गालियों वाला पत्र भेजते थे।
  • सुल्तान की राजधानी परिवर्तन की यह योजना विफल हो गई तथा उसने 1335 में दिल्ली को पुनः राजधानी बनाया।
  • राजधानी परिवर्तन का दूरगामी परिणाम यह हुआ कि दौलतावाद इस्लामी शिक्षा एवं संस्कृति का केन्द्र बन गया।
  • सुल्तान ने सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई०) अत्यधिक विशाल सेना रखने के उद्देश्य किया था क्योंकि युद्धों एवं सुल्तान की योजनाओं के कारण राजकोष रिक्त हो गया था
  • उसने चाँदी के सिक्के के स्थान पर ताबें तथा इससे मिश्रित कांसे के सिक्के जारी किये।
  • मु० तुगलक ने अपने पूर्ववर्ती चीन के मंगोल शासक कुबलाई खां द्वारा चलाये गये सांकेतिक सिक्के (चाऊ) तथा ईरान के गैखातू खाँ द्वारा इसी तरह के प्रयोग से उत्साही होकर सांकेतिक मुद्रा को प्रचलित करवाया।
  • लेकिन सुल्तान की यह योजना की असफल रही क्योंकि जालो सांकेतिक मुद्रा व्यापक पैमाने पर लोगों द्वारा ढाले जाने लगे।
  • मु० तुगलक का खुराशान अभियान तरमाशरीन के साथ मैत्री संबंध का परिणाम था। इसके लिए मु० तुगलक ने 370,000 की एक विशाल सेना तैयार की थी। तथा उन्हें एक वर्ष का अग्रिम वेतन दिया लेकिन यह योजना कार्यान्वित नहीं हो सकी।
  • अन्य योजनाओं की तरह कराचिल (हि०प्र० कांगड़ा जिला ) अभियान भी असफल रहा।
  • मु० बिन तुगलक के काल में सबसे अधिक विद्रोह हुए। इसके काल के 34 विद्रोहों के विषय में जानकारी मिलती है जिनमें 27 विद्रोह केवल दक्षिण भारत में हुए।
  • मु० तुगलक के काल का पहला विद्रोह दक्षिण में बहाउद्दीन गुरशस्थ ने किया।
  • 1335 में माबर में अहसान खां ने विद्रोह किया। उस विद्रोह को दबाने के लिए जो सेना गई, वह भी विद्रोहियों के साथ हो गई अंततः अहसान खां के नेतृत्व में स्वतंत्र मृदुता राज्य की स्थापना हुई।
  • माबर विद्रोह से ही मु० तुगलक के साम्राज्य का विघटन प्रारम्भ होता है।
  • माबर के अतिरिक्त विजयनगर राज्य (1336) तथा बहमनी (1347) की भी स्वतंत्र सत्ता उसी समय स्थापित हुई।
  • -मु० तुगलक ने मिश्र के अब्बासी खलीफा से स्वीकृति पत्र प्राप्त किया तथा खुतबा एवं सिक्कों में अपनी नाम की जगह खलीफाओं का नाम अंकित करवाया।
  • अपने सिक्कों पर 'अल्ल सुल्तान जिल्ली अल्लाह' (सुल्तान ईश्वर की छाया है), ईश्वर सुल्तान का समर्थक है आदि वाक्यों को अंकित करवाया।
  • बिना भेद-भाव के योग्यता के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति की नीति मु० तुगलक के काल में अपनी पूर्णता पर पहुंच गई।
  • रतन नामक हिन्दू को उसने सेहवान (सिन्ध) का सूबेदार बनाया था
  • वह हिन्दुओं के त्यौहारों विशेषकर होली में भाग लेने वाला सल्तनत का पहला सुल्तान था।
  • जैन विद्वान जिन प्रभु-सूरी तथा राजशेखर को संरक्षण प्रदान किया था।
  • दक्षिण भारत के विजय को पूर्ण करने का श्रेय मु० तुगलक को ही दिया जाता है।
  • इसी समय बंगाल दिल्ली सल्तनत से पूर्णतः स्वतंत्र हो गया
  • मु० तुगलक को एक असफल शासक माना जाता है तथा उसकी असफलता का एक प्रमुख कारण उसका अपना निजी व्यक्तित्व था।
  • 1351 ई0 में सिन्ध ( थट्टा) के विद्रोह को दबाने के दौरान मु० तुगलक की मृत्यु हो गई।
  • मु० तुगलक की मृत्यु के विषय में टिप्पणी करते हुए बदायूनी ने कहा "सुल्तान को उसकी प्रजा से तथा प्रजा को सुल्तान से मुक्ति मिल गई।"

फिरोज तुगलक ( 1351-1388 ई० )

  • फिरोज तुगलक, गियासुद्दीन तुगलक के छोटे भाई रज्जब तथा हिन्दू माता बीबी जैला का पुत्र था।
  • फिरोज तुगलक का दो बार राज्याभिषेक हुआ। पहला राज्याभिषेक 22 मार्च 1351 ई0 में थट्टा में तथा दूसरा अगस्त 1351 में दिल्ली में हुआ।
  • फिरोज तुगलक ने सर्वप्रथम उन ऋणों को माफ कर दिया जो मु० तुगलक के काल में किसानों को दिये गये थे।
  • उसने सुल्तान को भेंट देने की प्रथा को समाप्त कर दिया।
  • फिरोज तुगलक ने 23 प्रचलित करो को समाप्त करके शरीयत में मान्य केवल चार करो- खराज, खुम्स जजिया तथा जकात को ही वसूलने का आदेश दिया।
  • इस्लाम के प्रति अपनी उत्कट निष्ठा को प्रदर्शित करते हुए सल्तनत में पहली बार ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया।
  • उसने उलेमा से स्वीकृति के बाद शुर्ष नामक सिंचाई कर लगाया जो उपज का 1/10 होता था।
  • उसने दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में 1200 फलों के बाग लगाये जिससे राज्य को 1,80,000 टंका की आय होती थी।
  • उसने सरकारी पदों को वंशानुगत बनाया।
  • इसने साम्राज्य विस्तार के लिए कोई सैनिक अभियान नहीं किये।
  • फिरोज तुगलक ने हिस्सार, फिरोजा, जौनपुर (जौना खां की स्मृति में) तथा फिरोजाबाद (दिल्ली) जैसे नगरों की स्थापना की।
  • उसने अपने पुत्र तथा उत्तराधिकारी फतह खां का नाम सिक्कों पर अंकित करवाया।
  • फिरोज तुगलक ने रिश्वत खोरी को प्रोत्साहित किया।
  • ख्वाजा हेसामुद्दीन के अनुसार फिरोज के काल में दिल्ली का राजस्व 6 करोड़ 85 लाख है का थी।
  • उसके काल में सिंचाई व्यवस्था को सम्मुन्नत बनाने के लिए पाँच नहरों का निर्माण करवाया गया जिसमें सबसे प्रमुख उलुग खनी (यमुना से हिस्सात तक) तथा राजवही नहरे (सतलज से घग्घर) थी।
  • उनके काल में अनेक विभागो-दीवान-ए-बन्दगान (दासविभाग) दीवान-ए-खैरात (दान विभाग), दीवान-ए-इश्तिहाक (पेंशन) दारूल शफा (निःशुल्क चिकित्सा) आदि की स्थापना की गई।
  • फिरोज तुगलक ने इस्लामी कानूनो तथा उलेमा वर्ग को राज प्रशासन में प्रमुखता प्रदान किया।
  • हेनरी इलिएट तथा एलिफिस्टन ने फिरोज तुगलक को "सल्तनत युग का अकबर कहा है।"
  • फिरोज तुगलक में शशगानी (6. पीतल) नामक सिक्का चलाया फिरोज तुगलक को मध्यकालीन भारत का पहला कल्याणकारी निरंकुश शासक कहा जाता है।
  • फिरोज तुगलक ने क्रमशः फतेह खां तथा जफर खां को अपना उत्तराधिकारी चुना था लेकिन दोनों पुत्रों की मृत्यु के बाद फतेह खां के पुत्र तुगलक शाह को अपना उत्तराधिकारी चुना।
  • सितम्बर 1388 ई० में फिरोज तुगलक की मृत्यु के बाद पौत्र तुगलकशाह (1388-89), गियासुद्दीन तुगलक शाह II के नाम से सुल्तान बना। लेकिन दो वर्षों के भीतर हो वह षडयंत्रों का शिकार हो गया।
  • इसके बाद अगले पाँच वर्षों में तीन शासको-अबूबक, मुहम्मद शाह तथा अलाउद्दीन सिकन्दर शाह सुल्तान बने।
  • उस वंश का अंतिम सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद (1394-1412 ) थ। उसी के काल में मंगोल तैमूर ने (1398) भारत पर आक्रमण किया।
  • 1412 ई० में नासिरुद्दीन की मृत्यु के बाद सरदारों ने सर्व सम्मति से दौलत खां लोदी को सुल्तान बनाया। लेकिन 1414 ई0 में खिज्रखां ने दिल्ली पर आक्रमण कर दौलत खां को पराजित कर दिया और सैय्यद वंश के नाम से एक नवीन वंश की स्थापना की।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय -1 तुर्क
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 खिलजी
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 तुगलक वंश
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 लोदी वंश
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मुगल : बाबर, हूमायूँ, प्रशासन एवं भू-राजस्व व्यवस्था विशेष सन्दर्भ में शेरशाह का अन्तर्मन
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 अकबर से शाहजहाँ : मनसबदारी, राजपूत एवं महाराणा प्रताप के सम्बन्ध व धार्मिक नीति
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 औरंगजेब
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 शिवाजी के अधीन मराठाओं के उदय का संक्षिप्त परिचय
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 मुगलकाल में वास्तु एवं चित्रकला का विकास
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 भारत में सूफीवाद का विकास, भक्ति आन्दोलन एवं उत्तर भारत में सुदृढ़ीकरण
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला

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